Tuesday, May 5, 2020

महत्वपूर्ण करंट अफेयर्स: 1 से 4 मई तक

             महत्वपूर्ण करंट अफेयर्स:  1 से 4 मई तक


कोयला मंत्रालय द्वारा परियोजना निगरानी इकाई शुरू की गई:-

भारत के कोयला मंत्रालय ने केंद्र सरकार द्वारा आवंटित की गई कोयला खदानों के शीघ्र परिचालन को सुगम बनाने के लिए हाल ही में एक परियोजना निगरानी इकाई शुरू की गई है. इस इकाई को शुरू करने का लक्ष्य ज्यादा बोली दाताओं को आकर्षित करना है.

मुख्य विशेषताएं:-  परियोजना निगरानी इकाई कारोबार को सुगम बनाने की सुविधा प्रदान करेगी क्योंकि इससे खदानों के परिचालन के लिये समय पर मंजूरी प्राप्त करने में कोयला खदानों को सहायता मिलेगी. यह इकाई खदानों के संचालन के लिए राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों से मंजूरी प्राप्त करने में खदानों की सहायता भी करेगी. इकाई देश में कोयले के उत्पादन और कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने में मदद करेगी.

व्यापार करने में आसानी:- विश्व बैंक द्वारा व्यापार करने में आसानी के संबंध में जारी रैंकिंग में भारत का 63वां स्थान है. वर्ष 2019 की रैंकिंग भारत शीर्ष 10 सुधारक देशों में से एक था. यह इकाई भारत में ज्यादा सुधार लाने में सहायता करेगी और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को भी बढ़ावा देगी.

भारत में कोयले का उत्पादन:- भारत के पास विश्व में 5वें स्थान पर सबसे विशाल कोयला भंडार हैं. भारत में कोयला उत्पादन करने वाले पर्मुख राज्य हैंओडिशा, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना.

कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण और विराष्ट्रीयकरण :-    भारत में कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण दो चरणों में किया गया था. कोकिंग कोल खानों के प्रबंधन के लिए कोकिंग कोल माइंस (आपातकालीन प्रावधान) अधिनियम, 1971 के तहत वर्ष 1971 में राष्ट्रीयकरण का पहला चरण संपन्न हुआ था. टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड और इंडियन आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड का राष्ट्रीयकरण किया गया और उन्हें बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) के अधीन कर दिया गया.



लॉकडाउन की वजह से भारत के प्रमुख क्षेत्र के विकास में कमी आई:-

केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन द्वारा औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक (आईआईपी) प्रकाशित किया जाता है. यह विभिन्न औद्योगिक समूहों की वृद्धि दर को दर्शाता है
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भारत के प्रमुख क्षेत्र में कच्चा तेल, इस्पात, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, सीमेंट, उर्वरक, बिजली और कोयला शामिल हैं. वाणिज्य मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार, लॉक डाउन की वजह से मार्च, 2020 में भारत के प्रमुख उद्योगों के उत्पादन में गिरावट आई है.

मुख्य विशेषताएं:- मार्च के महीने में प्र्कुख उद्योगों के उत्पादन में 6.5% की गिरावट हुई है. यह वर्ष 2012 के बाद सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है

-देश में परिवहन क्षेत्र के पूरी तरह से रुक जाने के कारण पेट्रोलियम के क्षेत्र में 0.5% की कमी आई.

-देश में उत्पादन में अपेक्षाकृत कमी होने के कारण बिजली की मांग में 7.2% की कमी देखी गई. 

-विनिर्माण क्षेत्र के पूरी तरह रुक जाने से सीमेंट उद्योग में 25% की कमी देखी गई.

-देश में इस्पात का उत्पादन 13% कम हुआ

-केवल कोयला ही ऐसा प्रमुख क्षेत्र था जिसमें सकारात्मक वृद्धि के आंकड़े देखे गये.

महत्त्व:-भारत के इन 8 प्रमुख उद्योगों का देश के औद्योगिक उत्पादन के सूचकांक में 40.27% योगदान है. इन उद्योगों के उत्पादन में कमी आने के कारण, देश का आर्थिक उत्पादन काफी कम रहेगा

औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक:-  केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन द्वारा औद्योगिक उत्पादन का सूचकांक (आईआईपी) प्रकाशित किया जाता है. यह विभिन्न औद्योगिक समूहों की वृद्धि दर को दर्शाता है. वर्ष 2011-12 को आधार वर्ष मानकर आईआईपी की गणना की जाती है

आईआईपी संकेतक खनन, बिजली और विनिर्माण जैसे विशाल क्षेत्रों के उत्पादन को मापता है. यह उपयोग आधारित क्षेत्रों जैसेकि अर्थात् पूंजीगत वस्तुओं और मध्यवर्ती वस्तुओं और बुनियादी वस्तुओं से संबंधित क्षेत्रों के उत्पादन को भी मापता है.



वन नेशन वन राशन कार्ड योजना के तहत इन 5 राज्यों को जोड़ा गया: केंद्र सरकार:-

केंद्रीय मंत्री के अनुसार इस योजना से जुड़े पांचों राज्यों से एक मई से इस पर अमल शुरु करने हेतु कहा गया है. देश के सबसे बड़ी आबादी वाले इन राज्यों को इस योजना से जोड़ने के लिए काफी समय से काम चल रहा है.

केंद्र सरकार ने वन नेशन वन राशन कार्ड योजना (One Nation One Ration Card) के तहत 01 मई 2020 को बड़ा घोषणा किया है. केंद्र सरकार ने देश के पांच और राज्यों को इस योजना से जोड़ दिया है. वन नेशन वन राशन कार्ड योजना का लाभ बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और दमन-दिऊ भी अब उठा सकेंगे.

केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले के मंत्री रामविलास पासवान ने हाल ही में इसका घोषणा किया है. केंद्र सरकार ने 01 जनवरी 2020 को कुल 12 राज्यों को आपस में इस योजना से जोड़ा था. अब देश में कुल 17 राज्य हो गए हैं जो इस योजना से आपस में जुड़ जाएंगे. इनमें आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, केरल, राजस्थान, तेलंगाना आदि शामिल थे.

मजदूरों के लिए राहत की खबर:- केंद्रीय मंत्री के अनुसार इस योजना से जुड़े पांचों राज्यों से एक मई से इस पर अमल शुरु करने हेतु कहा गया है. देश के सबसे बड़ी आबादी वाले इन राज्यों को इस योजना से जोड़ने के लिए काफी समय से काम चल रहा है. जिसे लॉकडाउन में फंसे मजदूरों तक राहत देने हेतु तुरंत लागू करने का निर्णय लिया गया. सरकार ने कोविड-19 से चल रही लड़ाई में राष्ट्रीय लॉकडाउन को कुछ राहत के साथ दो हफ्तों के लिए और बढ़ाने का जो फैसला किया है देश के उद्योग जगत ने संशय के साथ उसका स्वागत किया है

यह योजना 12 राज्यों में पहले से ही लागू:-  इस योजना के लागू होने के बाद किसी भी राज्य का आदमी किसी भी राज्य से राशन ले सकता है. वन नेशन वन राशन कार्ड योजना 01 जून 2020 से शुरू होगी. इस योजना में पुराना राशन कार्ड भी मान्य होगा. देश के 12 राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, गोवा, झारखंड और त्रिपुरा में वन नेशन वन राशन कार्ड सुविधा की शुरुआत हो चुकी है.

राशन मिलना होगा बहुत आसान:-  इस योजना के तहत किसी को भी नया राशन कार्ड बनवाने की जरुरत नहीं है. यह योजना 12 राज्यों में 01 जनवरी से लागू हो चुकी है. राशन कार्ड की नई योजना- ‘वन नेशन वन राशन कार्डमोदी सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, इसके तहत पूरे देश में पीडीएस धारकों को देश के किसी भी कोने में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों से उनके हिस्से का राशन मिल सकेगा.

पीओएस मशीनें लगाई जाएंगी:- केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत देशभर में 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को सस्ते दामों पर खाद्यान मुहैया करवाती है. इस योजना को पूरे देश में लागू करने के लिए सभी पीडीएस दुकानों पर पीओएस मशीनें लगाई जाएंगी. इस योजना का उद्देश्य लाभार्थियों को स्वतंत्रता देना है ताकि वे किसी पीडीएस दुकान से बंधे नहीं रहें. इससे दुकान मालिकों पर निर्भरता घटेगी तथा भ्रष्टाचार में कमी आएगी.


रूस आर्कटिक जलवायु और पर्यावरण की निगरानी हेतु लॉन्च करेगा अपना पहला सैटेलाइट:-

रूस का आर्कटिका-एम रिमोट-सेंसिंग और आपातकालीन संचार उपग्रह पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों में मौसम संबंधी डेटा एकत्र करेगा. इससे मौसम के पूर्वानुमान में सुधार करने की अनुमति दी जाएगी.

रूस इस साल के अंत तक आर्कटिक जलवायु और पर्यावरण की निगरानी हेतु अपना पहला आर्कटिक-एम उपग्रह (Arktika-M satellite) लॉन्च करेगा. यह जानकारी लावोचिन एयरोस्पेस कंपनी के जनरल डायरेक्टर व्लादिमीर कोलीमकोव ने न्यूज एजेंसी स्पुतनिक को दी है.

व्लादिमीर कोलीमकोव ने कहा कि यह अब तक का नंबर एक आर्कटिक-एम अंतरिक्षयान विकसित किया गया है और इसका रेडियो-इलेक्ट्रॉनिक परीक्षण किया जारहा है. इसे लॉन्च करने की योजना साल 2020 के अंत तक बनाई गई है. उन्होंने आगे कहा कि दूसरे आर्कटिक-एम उपग्रह पर अभी भी चल रहा है और इसे साल 2023 में लॉन्च किया जाएगा.

अंतरिक्ष उद्योग के सूत्र ने फरवरी में स्पूतनिक को बताया था कि बैकोनूर अंतरिक्ष केंद्र से 09 दिसंबर 2020 के लिए पहली अर्कटिका-एम उपग्रह की लॉन्चिंग की योजना बनाई गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फ्रीगैट बूस्टर के साथ उपग्रह को सोयूज-2.1.1 वाहक रॉकेट का उपयोग करके लॉन्च किया जाएगा.

उद्देश्य:-  रूस का आर्कटिका-एम रिमोट-सेंसिंग और आपातकालीन संचार उपग्रह पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों में मौसम संबंधी डेटा एकत्र करेगा. इससे मौसम के पूर्वानुमान में सुधार करने की अनुमति दी जाएगी और वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन का बेहतर अध्ययन करने में सक्षम बनाएगा.

आर्कटिक वृत्त के बारे में:- आर्कटिक वृत्त पृथ्वी के नक्शे में अक्षांश द्वारा चिह्नित पांच प्रमुख क्षेत्रों में सबसे उत्तरी क्षेत्र है. इस वृत्त के उत्तरी क्षेत्र को आर्कटिक के रूप में जाना जाता है और दक्षिण क्षेत्र को उत्तरी शीतोष्ण क्षेत्र कहा जाता है. आर्कटिक वृत्त के उत्तर में , क्षितिज के ऊपर, प्रति वर्ष सूर्य कम से कम एक दिन (चौबीस घंटे) के लिए दिखाई देता है.

आर्कटिक वृत्त में, आम तौर पर जलवायु ठंडी है, लेकिन नॉर्वे के तटीय क्षेत्रों में, गल्फ स्ट्रीम के परिणाम स्वरुप, तापमान अपेक्षाकृत अधिक रहता है , जो उत्तरी नॉर्वे और उत्तर पश्चिमी रूस के बंदरगाहों को वर्षभर बर्फ से मुक्त रखते है. अंदरूनी इलाको में, ग्रीष्मकाल काफी गर्म होता है, जबकि सर्दियों बेहद ठंडी होती है.





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