Monday, January 17, 2022

राजस्थान के लोक देवता

                  राजस्थान के लोक देवता    




राजस्थान के लोक देवता:- प्राचीन समय में कुछ ऐसे महापुरुषों ने जन्म लिया, उनमे ऐसा प्रतीत होता था की उनमे देवताओं के अंश है या किसी देवता के अवतार है उन्हें कालान्तर में विभिन्न समुदायों द्वारा पूजनीय मान लिया गया और वे साम्प्रदाय आज भी उन महापुरुषों की पूजा करते है उनने लोका देवता भी कहा जाता है। राजस्थान के प्रमुख लोक देवता की सूची इस प्रकार है।


रामदेवजी:- रामदेवजी जन्म उंडुकासमेर (बाड़मेर) में हुआ।
रामदेव जी तवंर वंशीय राजपूत थे।
इनकी ध्वजा, नेजा कहताली हैं, नेजा सफेद या पांच रंगों का होता हैं
बाबा राम देव जी एकमात्र लोक देवता थे, जो कवि भी थे।
राम देव जी की रचना चैबीस वाणियाँ कहलाती है। इन्होने कामड़ पंथ की स्थपना की।
रामदेव जी का प्रतीक चिन्ह पगल्ये कहलाते है। और इनके पगल्यों की पूजा की जाती है।
इनके लोकगाथा गीत ब्यावले कहलाते हैं।
इनके मेघवाल भक्त रिखिया कहलाते हैं
बालनाथ जी इनके गुरू थे।

प्रमुख स्थल- रामदेवरा (रूणिचा), पोकरण तहसील (जैसलमेर)

बाबा रामदेव जी का जन्म भाद्रशुक्ल दूज (बाबेरी बीज) को हुआ।
राम देव जी का मेला भाद्र शुक्ल दूज से भाद्र शुक्ल एकादशी तक भरता है।
मेले का प्रमुख आकर्षण तरहताली नृत्य होता हैं।
मांगी बाई (उदयपुर) तेरहताली नृत्य की प्रसिद्ध नृत्यागना है।
तेरहताली नृत्य कामड़ सम्प्रदाय की महिलाओं द्वारा किया जाता है।
रामदेव जी श्री कृष्ण के अवतार माने जाते है।
छोटा रामदेवरा गुजरात में है।
सुरताखेड़ा (चित्तोड़) व बिराठिया (अजमेर) में भी इनके मंदिर है।
इनके यात्री जातरू कहलाते है।
रामदेव जी हिन्दू तथा मुसलमान दोनों में ही समान रूप से लोकप्रिय है।
मुस्लिम इन्हें रमसा पीर के नाम से पुकारते है।
रामदेव जी ने मेघवाल जाति की डाली बाई को अपनी बहन बनाया।
इनकी फड़ का वाचन मेघवाल जाति या कामड़ पथ के लोग करते है।

गोगा जी:- गोगा जी जन्म स्थान ददरेवा (जेवरग्राम) राजगढ़ तहसील(चुरू) में है।
गोगाजी समाधि गोगामेड़ी, नोहर तहसील (हनुमानगढ) में है।
लोगइन्हें सांपों के देवता, जाहरपीरके नाम से भी पुकारतेहैं।

शीर्षमेडी (ददेरवा) तथा घुरमेडी-(गोगामेडी), नोहर मे इनके प्रमुखस्थल हैं।

गोगामेंडी का निर्माण “फिरोजशाह तुगलक” ने करवाया।
वर्तमानस्वरूप (पुनः निर्माण) महाराजा गंगा सिंह नें कारवाया।
गोगाजीका विशाल मेला भाद्र कृष्णा नवमी (गोगा नवमी) को गोगामेड़ी गाँवमें भरता है।
इस मेले के साथ-साथ राज्य स्तरीय पशु मेला भी आयोजित होताहै।
यह पशु मेला राज्य का सबसे लम्बीअवधि तक चलने वालापशु मेला है।
गोगामेडी का आकार मकबरेनुमाहैं।
गोगाजीकी ओल्डी सांचैर (जालौर) में है।
इनकेथान खेजड़ी वृक्ष के नीचे होतेहै।
गोरखनाथजी इनके गुरू थे।
गोगाजीहिन्दू तथा मुसलमान दोनों धर्मो में समान रूप से लोकप्रिय थे।
धुरमेडीके मुख्य द्वार पर बिस्मिल्लाह अंकितहै।
इनकेलोकगाथा गीतों में डेरू नामक वाद्य यंत्र बजाया जाता है।
किसान खेत में बुआई करने से पहले गोगाजी के नाम सेराखड़ी हल तथा हालीदोनों को बांधते है।

पाबु जी:-पाबु जी का जन्म संवत 1313 में जोधपुर ज़िले में फलौदी के पास कोलूमंड गाँव में हुआ था।
देवल चारणी की गायों की रक्षा करते हुए वीर-गति को प्राप्त हुए। इसलिए इन्हें गायों, ऊंटों के देवता के रूप में मानते है।
पाबु जी को प्लेग रक्षक देवता भी माना जाता है।
पाबु जी के लोकगीत पावड़े कहलाते है। – इन्हे माठ वाद्य का उपयोग होता है।
पाबु जी की फड़ राज्य की सर्वाधिक लोकप्रिय फड़ है।
पाबु जी की जीवनी पाबु प्रकाश आंशिया मोड़ जी द्वारा रचित है।
इनकी घोडी का नाम केसर कालमी है।
पाबु जी का मेला चैत्र अमावस्या को कोलू ग्राम में भरता है।
पाबु जी की फड़ के वाचन के समय रावणहत्था नामक वाद्य यंत्र उपयोग में लिया जाता है।
पाबु जी का प्रतीक चिन्ह हाथ में भाला लिए हुए अश्वारोही है।
पशु के बीमार हो जाने पर ग्रामीण पाबूजी के नाम की तांती (एक धागा) पशु को बाँध कर मन्नत माँगते हैं।


मल्ली नाथ जी:-जन्म –तिलवाडा (बाडमेर) में हुआ। जाणीदे – रावल सलखा (माता -पिता)
इनका मेला चेत्र कृष्ण एकादशी से चैत्र शुक्ल एकादशी तक लूणी नदी के किनारे तिलवाड़ा (बाड़मेर) नामक स्थान पर भरता हैं।
यह मेला मल्लीनाथजी के राज्याभिषेक के अवसर से वर्तमान तक आयोजित हो रहा हैं।
इस मेले के साथ-साथ पशु मेला भी आयोजित होता है।
थारपारकर व कांकरेज नस्ल का व्यापार होता है।
बाड़मेर का गुड़ामलानी का नामकरण मल्लीनाथजी के नाम पर ही हुआ हैं।

डूंगजी- जवाहर जी:- शेखावटी क्षेत्र के लोकप्रिय देवता।
ये अमीरों व अंग्रेजों से धन लूट कर गरीब जनता में बांट देते थे।

बिग्गा जी/वीर बग्गा जी:- इनका जन्म जांगल प्रदेश (बीकानेर) के जाट परिवार में हुआ।
मंदिर-बीकानेर में है। सुलतानी -रावमोहन (माता-पिता)
जाखड़ समाज के कुल देवता माने जाते है।
मुस्लिम लुटेरों से गाय छुडाते समय वीरगति को प्राप्त हुए।

पंचवीर जी:-अजीत गढ़ (सीकर) में मंदिर है।
शेखावटी क्षेत्र के लोकप्रिय देवता है।
शेखावत समाज के कुल देवता है।

पनराज जी:-जन्म स्थान –नगाा ग्राम (जैसलमेर) में हुआ।
मंदिर पनराजसर (जैसलमेर) में है।
पनराज जी जैसलमेर क्षेत्र के गौरक्षक देवता है।
काठौड़ी ग्राम के ब्राह्मणों की गाय छुडाते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।

मामादेव जी:- इनके मंदिरों में मूर्ति के स्थान पर लकड़ी के बनें कलात्मक तौरण होते है।
उपनाम- बरसात के देवता।
ये पश्चिमी राजस्थान के लोकप्रिय देवता है।
मामदेव जी को खुश करने के लिए भैंसे की बली दी जाती है।

इलोजी जी:-इनका मंदिर इलोजी (जैसलमेर ) में है।
उपनाम – छेडछाड़ वाले देवता
जैसलमेर पश्चिमी क्षेत्र में लोकप्रिय

तल्लीनाथ जी;-वास्तविक नाम – गागदेव राठौड़ ।
गुरू – जलन्धरनाथ (जालन्धर नाथ न ही गागदेव को तल्लीनाथ का नाम दिया था।)
पंचमुखी पहाड़ – पांचोटा ग्राम (जालौर) के पास इस पहाड़ पर घुडसवार के रूप में बाबा तल्लीनाथ की मूर्ति स्थापित है।
तल्लीनाथ जी ने शेरगढ (जोधपुर) ढिकान पर शासन किया।

भोमिया जी:-भूमि रक्षक देवता जो गांव-गांव में पूजे जाते है।

केसर कुवंर जी:-गोगा जी के पुत्र कुवंर जी के थान पर सफेद ध्वजा फहराते है।

वीर फता जी:- जन्म सांथू गांव (जालौर) में।
सांथू गांव में प्रतिवर्ष भाद्रपद सुदी नवमी को मेला लगता है।